संशोधित एस सी एस टी का नया कानून देश मे सामाजिक विघटन का कारक बन रहा है
कंट्रीलीड़र न्यूज़ नेटवर्क दिल्ली।
द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा संशोधित रूप में लाया गया अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून भारतीय समाज में विघटन का कारण बनेगा।
द्वारका-शारदापीठ की प्रतिनिधि डॉ. दीपिका उपाध्याय द्वारा शंकराचार्य की ओर से जारी वक्तव्य के मुताबिक, शंकराचार्य ने एससी-एसटी ऐक्ट के मुद्दे पर भाजपा के शीर्ष नेताओं को आड़े हाथ लिया। उन्होंने नेताओं सहित भारतीय जनता पार्टी और उनके नेतृत्व की सरकार के इस कार्य को हिन्दू विरोधी बताया। स्वरूपानंद इस समय वृन्दावन के अटल्ली चुंगी स्थित उड़िया आश्रम में चातुर्मास प्रवास पर हैं।शंकराचार्य ने कहा, अच्छे और बुरे लोग तो सभी जातियों में होते हैं। ऐसे में यह कानून एक खतरनाक हथियार साबित होगा। जिसमें कि कहने मात्र से दूसरों को जेल हो जाए, यह अनुचित है। इससे लोगों में एक-दूसरे के प्रति घृणा बढ़ेगी। हम भी चाहते हैं कि दलित वर्ग का कल्याण हो, उनके साथ भेदभाव न हो। लेकिन इस कानून से वर्ग भेद होगा और देश बहुत पीछे चला जाएगा।आपको बता दें इस साल 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के बेजा इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए इसके तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दलित संगठनों के विरोध के बाद मोदी सरकार ने अगस्त में संसद के जरिए कोर्ट के फैसले को पलट दिया।
कंट्रीलीड़र न्यूज़ नेटवर्क दिल्ली।
द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा संशोधित रूप में लाया गया अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) कानून भारतीय समाज में विघटन का कारण बनेगा।
द्वारका-शारदापीठ की प्रतिनिधि डॉ. दीपिका उपाध्याय द्वारा शंकराचार्य की ओर से जारी वक्तव्य के मुताबिक, शंकराचार्य ने एससी-एसटी ऐक्ट के मुद्दे पर भाजपा के शीर्ष नेताओं को आड़े हाथ लिया। उन्होंने नेताओं सहित भारतीय जनता पार्टी और उनके नेतृत्व की सरकार के इस कार्य को हिन्दू विरोधी बताया। स्वरूपानंद इस समय वृन्दावन के अटल्ली चुंगी स्थित उड़िया आश्रम में चातुर्मास प्रवास पर हैं।शंकराचार्य ने कहा, अच्छे और बुरे लोग तो सभी जातियों में होते हैं। ऐसे में यह कानून एक खतरनाक हथियार साबित होगा। जिसमें कि कहने मात्र से दूसरों को जेल हो जाए, यह अनुचित है। इससे लोगों में एक-दूसरे के प्रति घृणा बढ़ेगी। हम भी चाहते हैं कि दलित वर्ग का कल्याण हो, उनके साथ भेदभाव न हो। लेकिन इस कानून से वर्ग भेद होगा और देश बहुत पीछे चला जाएगा।आपको बता दें इस साल 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के बेजा इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए इसके तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दलित संगठनों के विरोध के बाद मोदी सरकार ने अगस्त में संसद के जरिए कोर्ट के फैसले को पलट दिया।
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