प्रस्तुती - लक्ष्मी नरायन तिवारी
भारत मेलों का देश है। ग्रामीण अंचल मे लगने वाले मेलों की अपनी कुछ अलग छवि होती है।खासकर किसी बिशेष अवशर पर लगने वाले मेले जिसका इंतजार उस इलाके और उसके आस पास के इलाके के लोगों को बड़ी बेसब्री से रहता है इस कड़ी मे वीर भूमि कहे जाने वाले हलियापुर मे अनंतचतुर्दसी से शुरू होने वाला सप्ताह भर चलने वाले मेले की छवि तो मनमोहक रहती ही है जो बड़े बूढो को बचपन की जहाँ यादें ताजा करा जाती है वही बालवृन्दो को उल्लास से भर देती है। चल रहा यह मेला अपनी छटा बिखेर रहा है।मिठाई चाट की दुकानों पर दोपहर से भीड़ जुटना शुरू हो जाती है।खेल खिलौनों की दुकानों पर बच्चों की भीड़ और खरीदने की उनकी जिद और अभिभावकों के न करने पर उनके रूठने का प्यारा सा अंदाज देखते ही बनता है।तो नारी साज श्रृगार की दुकानों पर महिलाओं की भीड़ मेले की सुन्दरता पर चार चाँद लगा रही है।हालाँकि आधुनिकता के चलते मेले मे लकड़ी के हिल डोलनो की जगह अब बिजली से चलने बाले झूले ने ले ली है फिर भी झूला झूलने के शौकीन इसका आनंद लेने से चूकना नही चाह रहे है।मेले मे आस पास के दूर दराज के तमाम ऐसे लोग भी मेले मे भीड का हिस्सा बन रहे है जो उम्र के बड़े पडाव के दौर से गुजरते हुये अपने इष्ट मित्रों से काफी समय से नही मिल सके है ,ऐसे लोगो को भी यह मेला अपनों से मिलाता ,सामाजिक समरसता और भाई चारे की पराकाष्ठा को छू रहा है। मेला शुक्रवार तक चलेगा ।
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