कंट्री लीड़र न्यूज नेटवर्क
धर्म ग्रंथों के अनुसार आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक का समय श्राद्ध या महालय पक्ष कहलाता है। 24 सितंबर से श्राद्ध पक्ष शुरू हो चुके हैं। इस दौरान पितर यम लोक से 16 दिनों के लिए धरती पर आते हैं। साल में ये विशेष दिन होते हैं, जब आप अपने पितरों को सम्मान देकर उनका ऋण उतारने की कोशिश करते हैं। उन्होंने आपको इस जीवन में लाकर जो उपकार किया है, उसके प्रति श्रद्धा प्रकट करने का यह त्योहार है।
श्राद्ध को तीन पीढ़ियों तक करने का विधान है। मान्यता है कि हर साल इन दिनों श्राद्ध पक्ष में सभी जीव परलोक से मुक्त होते हैं, जिनसे वे स्वजनों के पास जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। तीन पूर्वजों में पिता को वसु के समान, दादा को रुद्र देवता के समान और परदादा को आदित्य देवता के समान माना जाता है। श्राद्ध के समय यही अन्य सभी पूर्वजों के प्रतिनिधि माने जाते हैं।
ब्राह्राण, गाय ,कौए और श्वान का महत्व
श्राद्ध पक्ष में पितरों के अलावा ब्राह्मण, गाय, श्वान और कौवे को भोजन दिया जाता है। गाय में सभी 33 कोटि देवी-देवताओं का वास माना जाता है। इसलिए वह अत्यंत पवित्र और पूजनीय होती है। श्वान और कौवे को पितर का रूप माना जाता है। इसलिए उन्हें ग्रास देने का विधान है। भारत के अलावा दूसरे देशों की प्राचीन सभ्यताओं में भी कौवे को महत्व दिया गया है। प्राचीन समय से एक धारणा चली आ रही है कि यदि कौवा आंगन में आकर कांव-कांव करे, तो घर में जल्द ही कोई मेहमान आता है।
गरुड़ पुराण में बताया है कि कौवे यमराज के संदेश वाहक होते हैं। श्राद्ध पक्ष में कौएं घर-घर जाकर खाना ग्रहण करते हैं, इससे यमलोक में स्थित पितर देवताओं को तृप्ति मिलती है। ग्रीक माइथोलॉजी में रैवन (एक प्रकार का कौवा) को अच्छे भाग्या का संकेत माना गया है। वहीं, नोर्स माइथोलॉजी में दो रैवन हगिन और मुनिन की कहानी मिलती है, जिन्हें ईश्वर के प्रति उत्साह का प्रतीक बताया गया है।
राम ने दिया वरदान
हिंदू पुराणों में कौए को देवपुत्र माना गया है। एक कथा के अनुसार, इन्द्र के पुत्र जयंत ने ही सबसे पहले कौवे का रूप धारण कर माता सीता को घायल कर दिया था। तब भगवान श्रीराम ने तिनके से ब्रह्मास्त्र चलाकर जयंत की आंख को क्षतिग्रस्त कर दिया था। जयंत ने अपने कृत्य के लिए क्षमा मांगी, तब राम ने उसे यह वरदान दिया कि तुम्हें अर्पित किया गया भोजन पितरों को मिलेगा।
कौवा पितरों की कृपा का ऐसे देता है शुभ संकेत
घर के पास अगर आपको कौवा चोंच में फूल-पत्ती लेकर बैठा दिखे, तो मनोरथ की सिद्धि होता है।
अगर कौवा गाय की पीठ पर चोंच को रगड़ता दिखे, तो उत्तम भोजन मिलता है।
अगर कौवा अपनी चोंच में सूखा तिनका लाते दिखे, तो धन लाभ होता है।
कौवा अनाज के ढेर पर बैठा मिले, तो धन लाभ होता है।
अगर सुअर की पीठ पर कौवा बैठा दिखाई दें, तो अपार धन की प्राप्ति होती है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार आश्विन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक का समय श्राद्ध या महालय पक्ष कहलाता है। 24 सितंबर से श्राद्ध पक्ष शुरू हो चुके हैं। इस दौरान पितर यम लोक से 16 दिनों के लिए धरती पर आते हैं। साल में ये विशेष दिन होते हैं, जब आप अपने पितरों को सम्मान देकर उनका ऋण उतारने की कोशिश करते हैं। उन्होंने आपको इस जीवन में लाकर जो उपकार किया है, उसके प्रति श्रद्धा प्रकट करने का यह त्योहार है।
श्राद्ध को तीन पीढ़ियों तक करने का विधान है। मान्यता है कि हर साल इन दिनों श्राद्ध पक्ष में सभी जीव परलोक से मुक्त होते हैं, जिनसे वे स्वजनों के पास जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। तीन पूर्वजों में पिता को वसु के समान, दादा को रुद्र देवता के समान और परदादा को आदित्य देवता के समान माना जाता है। श्राद्ध के समय यही अन्य सभी पूर्वजों के प्रतिनिधि माने जाते हैं।
ब्राह्राण, गाय ,कौए और श्वान का महत्व
श्राद्ध पक्ष में पितरों के अलावा ब्राह्मण, गाय, श्वान और कौवे को भोजन दिया जाता है। गाय में सभी 33 कोटि देवी-देवताओं का वास माना जाता है। इसलिए वह अत्यंत पवित्र और पूजनीय होती है। श्वान और कौवे को पितर का रूप माना जाता है। इसलिए उन्हें ग्रास देने का विधान है। भारत के अलावा दूसरे देशों की प्राचीन सभ्यताओं में भी कौवे को महत्व दिया गया है। प्राचीन समय से एक धारणा चली आ रही है कि यदि कौवा आंगन में आकर कांव-कांव करे, तो घर में जल्द ही कोई मेहमान आता है।
गरुड़ पुराण में बताया है कि कौवे यमराज के संदेश वाहक होते हैं। श्राद्ध पक्ष में कौएं घर-घर जाकर खाना ग्रहण करते हैं, इससे यमलोक में स्थित पितर देवताओं को तृप्ति मिलती है। ग्रीक माइथोलॉजी में रैवन (एक प्रकार का कौवा) को अच्छे भाग्या का संकेत माना गया है। वहीं, नोर्स माइथोलॉजी में दो रैवन हगिन और मुनिन की कहानी मिलती है, जिन्हें ईश्वर के प्रति उत्साह का प्रतीक बताया गया है।
राम ने दिया वरदान
हिंदू पुराणों में कौए को देवपुत्र माना गया है। एक कथा के अनुसार, इन्द्र के पुत्र जयंत ने ही सबसे पहले कौवे का रूप धारण कर माता सीता को घायल कर दिया था। तब भगवान श्रीराम ने तिनके से ब्रह्मास्त्र चलाकर जयंत की आंख को क्षतिग्रस्त कर दिया था। जयंत ने अपने कृत्य के लिए क्षमा मांगी, तब राम ने उसे यह वरदान दिया कि तुम्हें अर्पित किया गया भोजन पितरों को मिलेगा।
कौवा पितरों की कृपा का ऐसे देता है शुभ संकेत
घर के पास अगर आपको कौवा चोंच में फूल-पत्ती लेकर बैठा दिखे, तो मनोरथ की सिद्धि होता है।
अगर कौवा गाय की पीठ पर चोंच को रगड़ता दिखे, तो उत्तम भोजन मिलता है।
अगर कौवा अपनी चोंच में सूखा तिनका लाते दिखे, तो धन लाभ होता है।
कौवा अनाज के ढेर पर बैठा मिले, तो धन लाभ होता है।
अगर सुअर की पीठ पर कौवा बैठा दिखाई दें, तो अपार धन की प्राप्ति होती है।
No comments:
Post a Comment