कान्हा की नगरी मथुरा में श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव सोमवार को होगा। प्रसिद्ध भागवताचार्य विभू महराज ने बताया कि कान्हा की नगरी उत्तर प्रदेश के मथुरा में जन्माष्टमी अलग अलग मंदिरों में अलग अलग तरीके से मनाई जाती है। यहां के किसी मंदिर में श्री कृष्ण के बालस्वरूप में जन्माष्टमी मनाई जाती है तो कहीं बच्चे के रूप में मनाई जाती है। किसी मंदिर में दिन में तो कहीं रात में जन्माष्टमी मनाई जाती है। साधु संतगण ठाकुर का आशीवार्द लेने के लिए 84 कोस की परिक्रमा करते है।
उन्होने बताया कि ब्रज का हर मंदिर जन्माष्टमी के आयोजन के लिए मशहूर है। मथुरा भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली होने के कारण यहां तीर्थयात्रियों का जमावड़ा लगा रहता है। यहां स्थित जेल में ही कान्हा ने मानव रूप में जन्म लिया था। रजत कमलपुष्प में विराजमान ठाकुरजी के श्रीविग्रह का अभिषेक स्वर्ण मण्डित रजत गौ विग्रह के पयोधरों से निकली दुग्धधारा से होगा। ठाकुरजी के अभिषेक से पूर्व गौमाता का पूजन कर देवताओं का आव्हान किया जायेगा।उसके् बाद स्वर्ण चांदी की मिश्र धातु से बनी 51 किलो वजन की गाय, 51 किलो दूध से कान्हा का अभिषेक करेगी। इस अवसर पर तैतीस करोड़ देवी देवताओं का आह्वान किया जाएगा। ठाकुरजी के श्रीविग्रह का दूध, दही, घी, बूरा, शहद आदि सामग्री से दिव्य महा अभिषेक किया जायेगा। जन्माभिषेक के उपरान्त इस महाप्रसाद का वितरण जन्मभूमि के निकास द्वार के दोनों ओर वृहद मात्रा में किया जायेगा। भगवान का जन्म महाभिषेक रात्रि 12:15 बजे से रात्रि 12:3० बजे तक चलेगा। महा अभिषेक के बाद जन्म की खुशी में जहां कुछ समय तक अनवरत पुष्प वर्षा र्होती है
प्राचीन द्वारकाधीश मंदिर के जनसंपर्क अधिकारी राकेश तिवारी के अनुसार मंदिर में तीन सितम्बर को प्रात: सवा छह बजे ठाकुर जी का अभिषेक होगा तथा इसके बाद 11 बजे तक चार झांकियां होगी। शाम साढ़े सात बजे से पुन: दर्शन खुलेंगे तो जो रात नौ बजे बंद हो जाएंगे। इसके बाद रात दस बजे दर्शन खुलेंगे और रात 11 बजकर 45 मिनट पर जन्म के दर्शन के बाद प्रसाद वितरण होगा।'
वृन्दावन के मंदिरों राधारमण, राधा दामोदर एवं टेढ़े खम्भेवाले यानी शाह जी मंदिर में जन्माष्टमी दिन मे ही मनाने के कारण तीन सितम्बर को दिन में वृन्दावन तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ रहने की संभावना है।
Jai shree Krishna..... Radhe radhe
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