सुप्रभात्
प्रेरक प्रसंग
40 के दशक के दौरान लाला लाजपत राय की संस्था लोक सेवक मंडल स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की आर्थिक मदद किया करती थी. उसी दौरान एक बार जब लाल बहादुर शास्त्री जेल में थे तो उन्होंने अपनी मां को एक ख़त लिखा. इस पत्र में उन्होंने पूछा था कि क्या उन्हें संस्था से पैसे समय पर मिल रहे हैं और वे परिवार की जरुरतों के लिए पर्याप्त हैं. मां ने जवाब दिया कि उन्हें पचास रुपए मिलते हैं जिसमें से लगभग चालीस खर्च हो जाते हैं और बाकी के पैसे वे बचा लेती हैं. इसके बाद शास्त्री जी ने लोक सेवक मंडल को भी एक पत्र लिखा और धन्यवाद देते हुए कहा कि अगली बार से उनके परिवार को चालीस रुपए ही भेजे जाएं और बचे हुए पैसों से किसी जरूरतमंद की मदद कर दी जाए.
प्रेरक प्रसंग
40 के दशक के दौरान लाला लाजपत राय की संस्था लोक सेवक मंडल स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की आर्थिक मदद किया करती थी. उसी दौरान एक बार जब लाल बहादुर शास्त्री जेल में थे तो उन्होंने अपनी मां को एक ख़त लिखा. इस पत्र में उन्होंने पूछा था कि क्या उन्हें संस्था से पैसे समय पर मिल रहे हैं और वे परिवार की जरुरतों के लिए पर्याप्त हैं. मां ने जवाब दिया कि उन्हें पचास रुपए मिलते हैं जिसमें से लगभग चालीस खर्च हो जाते हैं और बाकी के पैसे वे बचा लेती हैं. इसके बाद शास्त्री जी ने लोक सेवक मंडल को भी एक पत्र लिखा और धन्यवाद देते हुए कहा कि अगली बार से उनके परिवार को चालीस रुपए ही भेजे जाएं और बचे हुए पैसों से किसी जरूरतमंद की मदद कर दी जाए.
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