हिंदू-मुस्लिम एकता की मिशाल बाबा जुडई शहीद की मजार*
>>जायरीनो ने चढाकर चादर और शायरो ने सजा महफिल माँगी मुल्क के सलामती की दुआ
कंट्री लीडर न्यूज नेटवर्क
निशार अहमद
सुल्तानपुर।गुरुवार को हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी तहसील बल्दीराय के चक्कारी भीट गांव स्थित गोमती नदी तट पर बाबा जुडई शहीद की मजार पर दो दिवसीय उर्स का आयोजन किया गया।उर्स के मौके पर बाबा की मजार पर हजारों जायरीनो का तांता लगा रहा।हिन्दू-मुस्लिम एक साथ मजार पर प्रसाद(सिन्नी) व चादर चढ़ा कर अपनी व मुल्क की सलामती की दुआएं मांगी।बाबा की मजार पर हर वर्ष दो दिवसीय का आयोजन किया जाता है।उर्स के पहले दिन बाबा की मजार पर कव्वाली का प्रोग्राम किया गया
,कव्वाली के प्रोग्राम में शामिल होने के लिए क्षेत्र के नामचीन कव्वालों ने महफ़िल-ए-शमां का आगाज़ किया।उर्स के दूसरे दिन बाबा की मजार पर सुबह कुरआन खानी, ग़ुस्ल,लँगरे-आम व मेले का आयोजन किया गया।रात्रि में जश्ने ईदमिलादुलनबी (जलसे) का प्रोगाम हुआ किया गया।जलसे की शुरुआत मौलाना जुनेदुल क़ादरी सुल्तानपूरी ने तिलावते कुरआन पाक से की,उन्होंने अपनी तक़रीर में कहा कि-- *वली जिंदा है, कुरानो हदीस की रोशनी में बताया कि बेशक वली जिंदा है।इन्ही बुजुर्गो के कौल को सामने रखते हुए ये भी कहा कि हम हिंदुस्तानी इन्ही बुजुर्गों के छत छाये में जी रहे है।और इन्ही बुजुर्गों ने अमन चैन का पैगाम दिया है।*
मौलाना मोहम्मद दिलशाद खान ने अपनी नातिया कलाम पेश की----
*मुस्तफा तो मुस्तफ़ा है,जो कहे हो जायेगा।आपके जितने गदा है,जो कहे हो जायेगा।।*
शायरे इस्लाम शरीफ़ नवाज़ क़ादरी किला इसौली,नुमान साहब, असद इक़बाल बंगाल,शायरे इस्लाम असरार अहमद फैज़ाबाद,शायर साजिद रजा जगदीशपुर अमेठी ने अपना-अपना कलाम पेश किया।उर्स मे शामिल होने के लिए दूर-दूर से बड़ी तादाद में हजारों जायरीन आये और बाबा की मजार पर सिन्नी व चादर चढ़ा कर मन्नते मांगी।
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