सोनू और मोनू के बसपा मे पदार्पण के बाद पार्टी को सुलतानपुर मे मिल जायेगी संजीवनी*
रिपोर्ट -सुनील राठौर
लोकसभा चुनाव 2019 मे सुलतानपुर निसंदेह एक बड़ा सियासी अखाड़ा बनने का संकेत कर रहा है।जिसकी शुरूआत बसपा के 2 दिसम्बर को मायंग गाँव मे आयोजित होने जा रहे कार्यकर्ता सम्मेलन से शुरू हो रही है। पूर्व विधायक चंद्रभद्र सिह (सोनू) और उनके भाई मोनू सिहने भाजपा का दामन छोड बसपा मे जाने का पूरा मन बना लिया है ।जिसके आसार इसौली ही नही पूरे लोकसभा मे बसपा पार्टी मे उनके जुडने के काफी संख्या मे लगे पोस्टर बैनर संकेत तो कर ही रहे है।साथ साथ उनके प्रबल समर्थको ने बसपा पार्टी मे 2 दिसम्बर को कार्यकर्ता सम्मेलन मे भद्र परिवार की राजनीतिक ताकत दिखाने के लिये गाँव गाँव जनसंपर्क भी शुरू कर दिया है।जनपद की राजनीति मे मजबूत पकड रखने वाले सोनू और मोनू के इस कदम को सियासी नजरिये के तहत अन्य दलो के नेता भले ही कुछ भी बताने की हवा बना रहे हो लेकिन सच तो यही है कि जनपद के सभी राजनीतिक सूरमाओ वे चाहे जिस दल से हो हाथी की बढती ताकत से फिक्रमंद कुछ कह पाने मे अपने को असहज महसूस कर रहे है।अनमने ढंग से ही सही लेकिन भद्र परिवार के राजनीतिक विरोधी इतना तो मानते ही है कि चुनाव को जैसे भी अपने पक्ष मे कर लेने की महारत सोनू और मोनू सिंह
को बखूबी हाशिल है। उनके पास अपने निजी कार्य कर्ताओ की एक ताकतवर फौज है जो उनके राजनीतिक कद को छोटा न होने देने के लिये पूरी ताकत लगा देती है ।ऐसा 2012 के विधान सभा चुनाव ,जब वह पीस पार्टी से लडे और 2013 मे मोनू सिंह इसौली से लडे ,तो जीत भले ही न मिली हो लेकिन सम्मानजनक स्थान बनाकर सभी को स्तब्ध करते हुये साबित कर दिया था। सपा ,भाजपा जैसे दलो की सियासी चालो के खट्टे मीठे अनुभवो के बाद अब वह पूरी तरह आश्वत होने के साथ बसपा का दामन थामते हुये जनपद के राजनीतिक अखाडे मे बसपा पार्टी के एक ठोस जनाधार के साथ अपनी ताकत जोडते हुये विरोधियों को करारी शिकस्त देंने का मन बना चुके है।फिलहाल भद्र बंधुओं को बसपा 2019 के लोकसभा चुनाव मे किस तरह की जिम्मेदारी सौपती है यह तो बसपा को तय करना है फिर भी यह कहना गलत न होगा कि बसपा ने सोनू मोनू के लिये पार्टी का दरवाजा खोलकर 2019 के लोकसभा चुनाव के लिये खुद को मजबूत बना लिया है।
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