कंट्रीलीड़र न्यूज नेटवर्क सुलतानपुर
सुलतानपुर के इसौली की प्रसिद्ध रामलीला देखने के लिये उमडी भीड।सूर्यभान पांडे के सफल संचालन के साथ -
सोहज जनु जुग जलज सनाला ।
ससिहि सभीत देते जय माला।।
गावहि छवि अवलोकि सहेली।
सिय जयमाल राम उर मेली।।
आज पांचवें दिन सीता स्वयंबर एंव लक्षमण-परषुराम संवाद का मंचन हुआ महाराजा राजा जनक नें दरबार में स्वयंबर का एेलान कर दिया और स्वामी विश्वामित्र जी को निमंत्रण भेज दिया स्वामी जी नें राजा का निमंत्रण पाते ही राम लक्षमण को अयोध्या के लिए रवाना कर दिया। जहाँ पर स्वयंबर सजा हुआ था राजा जनक नें धनुष को उठाने की शर्त रखी जिसमें अनेकों अनेक वीर योद्धाओं नें स्वयंबर में भाग लिए लेकिन धनुष को टस से मस नही कर सके अंत में श्री राम चंद्र जी नें धनुष को जैसे ही हाथ लगाया धनुष के दो टुकड़े हो गयें। धनुष के टूटने की खबर परशुराम को होते ही वह जनकपुरी पहुँच गयें ।उसी समय लक्षमण-परशुराम का जोरदार संबाद होता है।
राम लीला संचालन आचार्य सूर्यभान पांडेय द्वारा हुआ।सचिव देवीशंकर श्रीवास्तव, संरक्षक राकेश जोशी,कोशाध्यक्ष राम जोशी, भंडार पाल डाक्टर रामचंद्र जितेन्द्र श्रीवास्तव,विनीत कुमार जोशी,संम्पूरन जोशी,रमेश कुमार,सुरेश कुमार श्रीवास्तव,सत्येन्द्र अग्रहरि,महेंद्र कुमार झिंगरन,राजू झिंगरन,शंकर मोदनवाल,बद्री विशाल,रोहित, आदि सदस्य कलाकार एंव सैकड़ों की संख्या में दर्शक मौजूद रहे।
बल्दीराय तहसील क्षेत्र के कस्बा इसौली में होनेवाली रामलीला का इतिहास पुराना है। यह एकलौती रामलीला है जिसका नाम प्रदेश में भी है रामलीला देखने के लिए दूरदराज के लोगों का जमावड़ा रहता है।हिंदू मुस्लिम एकता की मिशाल रामलीला का आयोजन दो समुदाय आपस में मिलकर मनातें है यह परंम्परा विगत कई वर्षोँ से चलीं आ रही है इस क्षेत्र के लोगों में आपसी मेल मिलाप रहता है वहीं इस कस्बे में एकता की मिशाल है ।जहाँ सभी मिलकर एक साथ त्योहार मनातें है। वहीं भजन कीर्तन इंतजार अहमद नामक मुस्लिम गाते है और रावण का पुतला मुस्लिम समुदाय के लोग वर्षबो से करते आ रहे है।। राम लीला के दौरान भजन कीर्तन सलामत कव्वाल, नियामत कौव्वाल करते आ रहे है।
*हठ योग के महान मर्मज्ञ योगी महाराज समुचित दास ने शुरू की थी रामलीला*
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श्री श्री सुचितदास महाराज नें (1875) लगभग 150 वर्ष पूर्व अपनें चंद साथियों के साथ मिलकर रामलीला की शुरूआत की थी।बताते चले महराज सुचितदास थाना कूरेभार के खरकहिया गाव के रहने वाले थे ।आप हठयोगी थे जिनकी तप स्थली इसौली का गोमती तट रही ।वे ऊच नीच का बगैर भेद भाव किये समाजिक समरसता के लिये ताजीवन कार्य करते रहे ।आपके अनुयायी हिन्दू ही नही मुस्लिम समाज के लोग भी रहे और हर तरह से सहयोग भी करते रहे।कहते है उनके गोलोकवासी होने के बाद उनकी मूज की जनेऊ आज भी इसौली के जोशी परिवार मे सुरक्षित है जो प्रति वर्ष रामलीला शुरू होने के दिन श्रद्धा के साथ मंच पर रखी जाती है। दस दिनों तक लगातार रामलीला का मंचन किया जाता है जिसमें इलाकाई कलाकार अपनी कला का परिचय देते है ।राम की भूमिका प्रशांत पांडेय और लक्षमण की भूमिका गोबिन्द जोशी निभातें हैं और अब रामलीला सुरक्षा व्यवस्था घनश्याम मिश्र की अध्यक्षता में की जाती है।