कंट्री लीडर न्यूज नेटवर्क सुलतानपुर
रिपोर्ट -आनंद मिश्र धनपतगंज
धनपतगंज ।जो क्रोध आदि विकारो से रहित है वह भगवान कन्हैया का प्रिय है ,उक्त बाते सेमरौना गाँव मे चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दौरान कथा व्यास बजरंग दास जी ने श्रोताओं से कही।चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन कथा व्यास बजरंग दास
ने भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं व गोवर्धन पूजा की कथा का वर्णन किया।
श्रीकृष्ण की माखन चोरी, व्योमासुर वध कर वायु एवं आकाश तत्व का शोधन जैसे मार्मिक प्रसंग सुनाकर भक्तों को भाव विभार कर दिया।गोवर्धन पूजा में उन्होंने कहा कि यदि भगवान के भक्तों में विकार आ जाता हैं तो वे अपने भक्तों की रक्षा के लिये उसके अहंकार के अंकुर को नष्ट कर देते हैं। इंद्रदेव का उदाहरण दिया और कहा कि एक बार इंद्र को अहंकार हो गया था, तब श्री कृष्ण ने मार्ग दर्शन कर इंद्र की पूजा न कराकर गिरिराज की पूजा कराई थी। वही माखन चोरी के प्रसंग में माखन शब्द की व्याख्या करते हुये कहा कि माखन शब्द माख और न शब्द से बना हैं। इसमें माख का अर्थ क्रोध तथा न का अर्थ नहीं है। अर्थात जो क्रोधादि विकारों से रहित है वह कन्हैया को अत्यंत प्रिय हैं।
श्रीकृष्ण की माखन चोरी, व्योमासुर वध कर वायु एवं आकाश तत्व का शोधन जैसे मार्मिक प्रसंग सुनाकर भक्तों को भाव विभार कर दिया।गोवर्धन पूजा में उन्होंने कहा कि यदि भगवान के भक्तों में विकार आ जाता हैं तो वे अपने भक्तों की रक्षा के लिये उसके अहंकार के अंकुर को नष्ट कर देते हैं। इंद्रदेव का उदाहरण दिया और कहा कि एक बार इंद्र को अहंकार हो गया था, तब श्री कृष्ण ने मार्ग दर्शन कर इंद्र की पूजा न कराकर गिरिराज की पूजा कराई थी। वही माखन चोरी के प्रसंग में माखन शब्द की व्याख्या करते हुये कहा कि माखन शब्द माख और न शब्द से बना हैं। इसमें माख का अर्थ क्रोध तथा न का अर्थ नहीं है। अर्थात जो क्रोधादि विकारों से रहित है वह कन्हैया को अत्यंत प्रिय हैं।
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