विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी भी नहीं पास कर सके हैं विभागीय टंकण परीक्षा
6 माह बाद फिर आयोजित होगी कंप्यूटर टंकण परीक्षा
असफल 35 कार्मिकों की रोकी गई वेतन वृद्धि,
पुनः आयोजित होने वाली परीक्षा में असफल होने पर रद्द होगी नियुक्ति
मिल्कीपुर संवाददाता
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज की विभिन्न विभागों में जनवरी 2021 के बाद विनयमित/ मृतक आश्रित कार्मिकों को लेकर विश्व विद्यालय में आयोजित कंप्यूटर टंकण परीक्षा में 35 कार्मिक निर्धारित मानक प्राप्त नहीं कर सके हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा कंप्यूटर टंकण परीक्षा में असफल पाए गए उक्त 35 कार्मिकों को आगामी 6 माह के अंदर दुबारा आयोजित की जाने वाली विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण न कर पाने की दशा में सेवा समाप्त किए जाने की चेतावनी दे दी है। सबसे मजे की बात इन्हीं असफल 35 कार्मिकों में विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी भी शामिल हैं। विश्वविद्यालय के निदेशक प्रशासन एवं परिवीक्षण द्वारा निर्गत किए गए आदेश में उल्लिखित किया गया है कि जनवरी 2021 के बाद विनियमित/ नियुक्त मृतक आश्रित कर्मियों की विभागीय कंप्यूटर टंकण परीक्षा आयोजित की गई थी। कृषि अधिष्ठाता एवं अध्यक्ष परीक्षा एवं मूल्यांकन समिति द्वारा अपने गोपनीय पत्रांक 312 दिनांक 20 जून 2022 के तहत उपलब्ध कराया गया है कि प्राप्त परीक्षा परिणाम में कोई भी कार्मिक निर्धारित मानक प्राप्त नहीं कर सके हैं। मानक न प्राप्त करने वाले कार्मिकों में कनिष्ठ सहायक पद पर नियुक्ति पाए विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी आशुतोष सिंह भी शामिल हैं। यही नहीं ऐसे कार्मिकों की सूची में क्रमांक 24 एवं 26 पर दर्ज दो कार्मिक ज्ञान शंकर तिवारी तथा उदय प्रकाश पांडे उक्त विभागीय परीक्षा में सम्मिलित ही नहीं हो सके हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनकी वेतन वृद्धि रोकने के साथ-साथ अनुशासनहीनता/ अवमानना माना है। इसके चलते दोनों कार्मिकों को प्रतिकूल प्रविष्टि भी दे दी गई है। इसके अलावा कंप्यूटर टंकण परीक्षा में असफल उक्त सभी कार्मिकों (कनिष्ठ सहायकों)की एक वेतन वृद्धि तत्काल प्रभाव से रोके जाने के आदेश भी दे दिए गए हैं। अब कनिष्ठ सहायक पद पर नियुक्ति देने वाला विश्वविद्यालय प्रशासन स्वयं सवालों के घेरे में खड़ा हो गया है। जिसमें अनुकंपा के आधार पर सेवा में लिए योग्यता का होना आवश्यक माना गया है। जब ऐसे कार्मिकों की नियुक्ति कनिष्ठ सहायक पर की गई तब उनकी योग्यता का ख्याल क्यों नहीं रखा गया। बिना मानक पूरा किए नियुक्ति प्रदान किए जाने को लेकर अब विश्वविद्यालय में चर्चाओं का बाजार गर्म है।
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