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दो दिवसीय बाल क्रीडा प्रतियोगिता सुलतानपुर मे शुरु
* सुलतानपुर 21 नम्बर/ बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय जनपदीय बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ एम.जी.ए...
Monday, 26 September 2022
भक्तों के लिए सुख समृद्धि का द्वार खोलेगा मातारानी का आगमन का दिन*
कंट्री लीडर समाचार
सोमवार से आरम्भ होने जा रहा देवी
उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र इस बार श्रद्धालुओं एवं भक्तों के लिए विशेष फलदायक होगा। इस बार नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा पर ही पांच योग बनेंगे, जो भक्तों को विशेष फल देने के साथ ही बेहद पुण्यदायी होंगे। मातारानी का हाथी पर सवार होकर आना भी भक्तों के लिए सुख समृद्धि का द्वार खोलेगा।उक्त जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य आचार्य राकेश पांडेय ने बताया कि सोमवार का दिन ग्रहों और नक्षत्रों के संयोग से प्रतिपदा पर बनने वाले योगों में शुक्ल योग, सर्वार्थसिद्धि योग, शुक्र बुधादित्य योग, ब्रह्म योग और अमृतसिद्धि योग हैं। इसके अलावा नवरात्रि में तीन बार रवि योग भी बनेगा। आचार्य राकेश पांडेय ने कहा कि यह महासंयोग कभी-कभी ही होता है। चतुर्थी, षष्ठी और अष्टमी को बन रहा रवि योग ज्योतिष में संकटों को दूर कर शुभता और सफलता प्रदान करेगा। सूर्य, शुक्र, बुध की युति से बनने वाला शुक्र बुधादित्य योग प्रतिप्रदा के दूसरे प्रहर तक मिलेगा। कन्या राशि में बनने वाला यह योग शुक्र के नीचत्व को भंग करने में विशेष सहायक होगा। ऐसे विशिष्ट योग संयोग में शक्ति उपासना से शिक्षा व धन धान्य की प्राप्ति होती है।हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा: आचार्य राकेश पांडेय ने बताया कि हर बार नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों से आती हैं और उनके ये वाहन शुभ व अशुभ संकेत देते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना बेहद ही शुभ संकेत है। मां की यह सवारी धरती पर सुख-समृद्धि का संकेत है। मां दुर्गा जब हाथी पर सवार होकर आएं और उस समय बारिश हो जाए तो इसका मतलब है कि धन-धान्य की बरसात होने वाली है।नवरात्रि पर बेहद शुभ संयोग: आचार्य राकेश पांडेय के अनुसार नवरात्र पूजन का आरंभ और कलश स्थापना के लिए दिन भर का समय शुद्ध और प्रशस्त है। इस दौरान शुक्ल और ब्रह्म योग का अद्भुत संयोग बन रहा है, जिसे पूजा-पाठ और शुभ योगों के लिए बहुत शुभ माना गया है। महाष्टमी का व्रत-पूजन तीन अक्तूबर सोमवार को होगा। दुर्गा पूजा के लिए अष्टमी-नवमी तिथि की संधि पूजा का मुहूर्त दिन में 3:36 बजे से 4:24 बजे तक होगा। वहीं महानवमी तिथि का मान चार अक्तूबर मंगलवार को होगा। नवमी तिथि दिन के 01.32 बजे तक रहेगी। इसके बाद दशमी तिथि शुरू होगी। इस कारण विजयादशमी या दशहरा पर्व चार और पांच अक्तूबर को मनाया जाएगा।
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सोमवार से आरम्भ होने जा रहा देवी उपासना का पर्व शारदीय नवरात्र इस बार श्रद्धालुओं एवं भक्तों के लिए विशेष फलदायक होगा। इस बार नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा पर ही पांच योग बनेंगे, जो भक्तों को विशेष फल देने के साथ ही बेहद पुण्यदायी होंगे। मातारानी का हाथी पर सवार होकर आना भी भक्तों के लिए सुख समृद्धि का द्वार खोलेगा।उक्त जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य आचार्य राकेश पांडेय ने बताया कि सोमवार का दिन ग्रहों और नक्षत्रों के संयोग से प्रतिपदा पर बनने वाले योगों में शुक्ल योग, सर्वार्थसिद्धि योग, शुक्र बुधादित्य योग, ब्रह्म योग और अमृतसिद्धि योग हैं। इसके अलावा नवरात्रि में तीन बार रवि योग भी बनेगा। आचार्य राकेश पांडेय ने कहा कि यह महासंयोग कभी-कभी ही होता है। चतुर्थी, षष्ठी और अष्टमी को बन रहा रवि योग ज्योतिष में संकटों को दूर कर शुभता और सफलता प्रदान करेगा। सूर्य, शुक्र, बुध की युति से बनने वाला शुक्र बुधादित्य योग प्रतिप्रदा के दूसरे प्रहर तक मिलेगा। कन्या राशि में बनने वाला यह योग शुक्र के नीचत्व को भंग करने में विशेष सहायक होगा। ऐसे विशिष्ट योग संयोग में शक्ति उपासना से शिक्षा व धन धान्य की प्राप्ति होती है।हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा: आचार्य राकेश पांडेय ने बताया कि हर बार नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों से आती हैं और उनके ये वाहन शुभ व अशुभ संकेत देते हैं। इस बार शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां दुर्गा का हाथी पर सवार होकर आना बेहद ही शुभ संकेत है। मां की यह सवारी धरती पर सुख-समृद्धि का संकेत है। मां दुर्गा जब हाथी पर सवार होकर आएं और उस समय बारिश हो जाए तो इसका मतलब है कि धन-धान्य की बरसात होने वाली है।नवरात्रि पर बेहद शुभ संयोग: आचार्य राकेश पांडेय के अनुसार नवरात्र पूजन का आरंभ और कलश स्थापना के लिए दिन भर का समय शुद्ध और प्रशस्त है। इस दौरान शुक्ल और ब्रह्म योग का अद्भुत संयोग बन रहा है, जिसे पूजा-पाठ और शुभ योगों के लिए बहुत शुभ माना गया है। महाष्टमी का व्रत-पूजन तीन अक्तूबर सोमवार को होगा। दुर्गा पूजा के लिए अष्टमी-नवमी तिथि की संधि पूजा का मुहूर्त दिन में 3:36 बजे से 4:24 बजे तक होगा। वहीं महानवमी तिथि का मान चार अक्तूबर मंगलवार को होगा। नवमी तिथि दिन के 01.32 बजे तक रहेगी। इसके बाद दशमी तिथि शुरू होगी। इस कारण विजयादशमी या दशहरा पर्व चार और पांच अक्तूबर को मनाया जाएगा।
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